सारे जगत को देने वाले
मैं क्या तुझको भेंट चढ़ाऊँ,
जिसके नाम से आए खुशबू
मै क्या उसको फूल चढ़ाऊँ !!.
वो तैरते तैरते डूब गये, जिन्हे खुद पर गुमान था।।
और वो डूबते डूबते भी तर गये.. जिन पर तू मेहरबान था।।
मैं क्या तुझको भेंट चढ़ाऊँ,
जिसके नाम से आए खुशबू
मै क्या उसको फूल चढ़ाऊँ !!.
वो तैरते तैरते डूब गये, जिन्हे खुद पर गुमान था।।
और वो डूबते डूबते भी तर गये.. जिन पर तू मेहरबान था।।
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