Monday 20 March 2017

Poem of Gulzar - SMS

A lovely poem from Gulzar for all of us...

कुछ हँस के
     बोल दिया करो,
कुछ हँस के
      टाल दिया करो,
यूँ तो बहुत
    परेशानियां है
तुमको भी
     मुझको भी,
मगर कुछ फैंसले
     वक्त पे डाल दिया करो,
न जाने कल कोई
    हंसाने वाला मिले न मिले..
इसलिये आज ही
      हसरत निकाल लिया करो !!
 समझौता
      करना सीखिए..
क्योंकि थोड़ा सा
      झुक जाना
 किसी रिश्ते को
         हमेशा के लिए
तोड़ देने से
           बहुत बेहतर है ।।।
किसी के साथ
     हँसते-हँसते
 उतने ही हक से
      रूठना भी आना चाहिए !
अपनो की आँख का
     पानी धीरे से
पोंछना आना चाहिए !
      रिश्तेदारी और
 दोस्ती में
    कैसा मान अपमान ?
बस अपनों के
     दिल मे रहना
आना चाहिए...!
    - गुलज़ार

No comments:

Post a Comment